Method and rules of donating cow

Method and rules of donating cow

गाय दान करने की विधि और नियम

दान अनेक प्रकार के होते हैं, जो अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किए जाते हैं। इनमें से गोदान या गाय का दान ऐसा है जो सभी तरह के कल्याण के लिए उपयोगी है। शास्त्रों के अनुसार इस दान का बहुत महत्व है।

Method and rules of donating cow

पितृ मोक्ष

ऐसा माना जाता है सभी मनुष्यों को जीवन में एक बार यह दान अवश्य करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जो लोग श्रेष्ठ मृत्यु को प्राप्त होना चाहते हैं, अलंकृत विमान के जरिए अपने परमात्मा के पास पहुंचना चाहता है उसे गोदान अवश्य करना चाहिए। इतना ही नहीं गोदान करने से पितृ मोक्ष भी होता है।

ब्राह्मण को किया गया दान

ब्राह्मण को किया गया गोदान ही सही और उपयुक्त माना गया है लेकिन यह कैसे ब्राह्मण को करना चाहिए, गाय कैसी होनी चाहिए और किस विधि अनुसार गोदान किया जाना चाहिए.

शांत और सदाचारी

आप जिस ब्राह्मण को गोदान करने जा रहे हैं, उसका अंगहीन होना आपके लिए सही नहीं है। गोदान का अधिकारी वही व्यक्ति है जो अंगहीन ना हो, यज्ञ करवा सकता हो, जिसका परिवार भरा-पुरा हो और पत्नी जीवित हो। ब्राह्मण का शांत और सदाचारी होना भी आवश्यक है।

गाय के अंग

गाय के सभी अंगों में देवताओं का वास माना गया है, इसलिए गोदान से पूर्व गाय का भी श्रृंगार किया जाता है। गाय के वस्त्र, श्रृंगार का सामान, आभूषण व अन्य सामग्रियों से गाय की पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि गाय के सींगों में ब्रह्मा और विष्णु का निवास है। गाय के सिर में महादेव, माथे पर गौरी और नथनों में कार्तिकेय का वास है।

आंखों में सूर्य-चंद्रमा, नाक में कम्बल और अश्वतर नाग, कानों में अश्विनी कुमार, दांतों में वासुदेव, जीभ में वरुण और गले में देवराज इन्द्र, बालों में सूर्य की किरणें, खुर में गंधर्व, पेट में पृथ्वी और चारों थनों में चारों समुद्र रहते हैं। गोमुत्र में गंगा और गोबर में यमुना का निवास माना है।

हिन्दू देवता

इसले जो व्यक्ति गोदान कर रहा है, उसे समस्त देवताओं का आह्वान करना चाहिए और इसके बाद सोलह उपचारों से गाय का पूजन किया जाना चाहिए। गले में माला पहनाकर आगाव मंत्र उच्चारित करना चाहिए। गाय को वस्त्र पहनाकर, पूर्ण श्रद्धा के साथ गाय का पूजन कीजिए। इसके बाद अपनी पत्नी के साथ गाय को प्रणाम करें।

दाहिने हाथ में गाय की पूंछ लेकर अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें और पितरों को जल अर्पित करें। जो लोग सांप के काटने, बाघों के सींग, दांत और नाखून के प्रहार से मारे गए हैं, जो लोग पुत्रहीन हैं और जिनका संस्कार नहीं हुआ है, जो लोग अविवाहित हैं, धर्म को नहीं मानते, मामा आदि को इस जल से तृप्त करना चाहिए।

गाय का दान

जिस गाय का दान आप करने जा रहे हैं, उसके सींग और खुर चमकदार होने चाहिए, उसकी तांबे जैसी पीठ हो और वह दूध देने में सक्षम हो। गोदान में कभी वृद्ध दान नहीं देनी चाहिए।

गाय के साथ सोने या कांस्य के बर्तन में घी-दूध और तिल डालकर कुश के साथ उस गाय की पूंछ पर रखकर उसे दान किया जाना चाहिए। दान की पूर्णता के लिए जिस ब्राह्मण को आप गाय दान कर रहे हैं उसे साथ ही साथ धन या सोने का भी दान करें।

नोट अगर आप गाय देने में असमर्थ हैं तो आप गाय का बच्चा भी दे सकते हैं वैसे तो गाय देना ज्यादा अच्छा माना जाता है शास्त्रों के हिसाब से !

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